भारत तेजी से अपने सड़क नेटवर्क को आधुनिक बना रहा है, और इसी क्रम में बनाया जा रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (Delhi-Mumbai Expressway) देश के बुनियादी ढांचे में क्रांति लाने के लिए तैयार है. यह परियोजना सिर्फ एक सड़क नहीं है, बल्कि देश की दो सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक राजधानियों, दिल्ली और मुंबई को करीब लाने की एक बड़ी पहल है, जो दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को लगभग आधा कर देगी.
परियोजना की महत्ता और विशालता
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को भारतीय सड़क इतिहास की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक माना जा रहा है.
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लंबाई: कुल 1355 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे, भारतमाला परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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लेन: वर्तमान में यह विशाल एक्सप्रेस-वे छह से आठ लेन तक का है, जिसे भविष्य की जरूरतों को देखते हुए 12 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा.
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लागत: इसके निर्माण में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.
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समय-सीमा: 1355 किलोमीटर लंबे मार्ग में से 774 किलोमीटर हिस्सा पहले ही यात्रियों के लिए खोला जा चुका है, और बाकी का हिस्सा मार्च 2026 तक पूरी तरह से खोले जाने की उम्मीद है.
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यात्रा समय में कमी: एक बार पूरा मार्ग तैयार हो जाने पर, दिल्ली और मुंबई के बीच सफर का समय 25 घंटे से घटकर मात्र साढ़े 12 घंटे रह जाएगा.
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अधिकतम गति: यात्रा की अधिकतम अनुमति गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है.
एक्सप्रेस-वे का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जा रहा है. इस विशाल नेटवर्क के निर्माण में ज़मीन अधिग्रहण, पुल, फ्लाईओवर, सुरंगें, और आधुनिक सुरक्षा सिस्टम जैसे कार्य तेजी से पूरे किए जा रहे हैं.
एक्सप्रेस-वे का रूट और प्रमुख कनेक्टिंग राज्य
एक्सप्रेस-वे का निर्माण 2019 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा आधारशिला रखे जाने के बाद शुरू हुआ था. यह मार्ग छह बड़े राज्यों को सीधे जोड़ेगा:
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दिल्ली
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हरियाणा
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राजस्थान
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मध्य प्रदेश
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गुजरात
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महाराष्ट्र
एक्सप्रेस-वे की शुरुआत दिल्ली के DND फ्लाईवे और हरियाणा के सोहना से होगी और इसका अंत महाराष्ट्र के विरार तथा जेएनपीटी पोर्ट पर होगा.
मुख्य मार्ग: यह एक्सप्रेस-वे दिल्ली से निकलकर गुरुग्राम के पास सोहना से आगे बढ़ता है.
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राजस्थान: यह राजस्थान के जयपुर, दौसा और सवाई माधोपुर से होकर गुजरता है.
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मध्य प्रदेश: यह मध्य प्रदेश में प्रवेश करते हुए रतलाम और आसपास के इलाकों से गुजरता है.
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गुजरात: इसके बाद मार्ग गुजरात के वडोदरा और सूरत तक पहुंचता है.
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महाराष्ट्र: अंत में यह महाराष्ट्र में विरार होते हुए मुंबई तक जाता है.